यादें-वाह ताज…पुतिन का पहला दौरा भारत, उस समय ताजमहल में बिताये थे 50 मिनट, पोखरण पर दिया था भारत का साथ
नई दिल्ली. जैसे ही गुरूवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली उतरे, मन अपने आप 25 वर्ष पीछे चला गया। वर्ष था 2000, एक 47 वर्षीय नया नवेला राष्ट्रपति पहली बार भारत आया था। उस समय न उसकी शादी टूटी थी, नहीं रूस इतना ताकतवर था और न ही भारत-पश्चिम के रिश्ते इतने गहरे थे। लेकिन उस 3 दिन की यात्रा ने सब बदल दिया है। मौका था 2000 दिसम्बर का, बिल क्लिंटन की यात्रा के 6 माह बाद ही पुतिन दिल्ली पहुंचे। संसद में नमस्ते किया। आगरा में पत्नी ल्यूडमिला के साथ ताजमहल देखा और मुंबई में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) जाकर दुनिया को साफ-साफ संदेश दे दिया कि पोखरण-2 के बाद भारत अकेला नहीं है।
दिल्ली में पूरा राजकीय स्वागत हुआ। पुतिन -ल्यूडमिला राजघाट गये। गांधी जी को श्रद्धांजलि दी। फिर तत्कालीन पीएम अटलबिहारी बाजपेई से लम्बी बातचीत, संसद के सेंट्रल हॉल में भाषण। वहां उन्होंने हाथ जोड़कर नमस्ते किया और कहा कि भारत का जादू बेमिसाल है। उन्होंने कश्मीर पर भी सही बातकहीं सब तालियां बजाते रह गये।
राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण ने कहा कि रूस हमारे लिये जरूरत में साथ देने वाला दोस्त रहा है। आप भारत के सबसे बड़े दोस्त है। लेकिन मीडिया का असली विस्फोट हुआ जब पुतिन दम्पति आगरा पहुंचे। ताज देखकर पुतिन बोले बहुत खूबसूरत है। यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है। वह ताजमहल में 50 मिनट रहे और फोटो खिंचवाई औ वापिस लौट गये।
वह बड़े सौदे भी गये
यह यात्रा सिर्फ दिखावा नहीं थी। कई बड़े फैसले हुए। इनमें 310 टी-90 टैंक का सौदा, एसयू-30 लड़ाकू विमान बनाने की लायसेंस डील और रूसी नौसेना का एयरक्राफ्ट कैरियर एडमिरल गोर्शकोव (बाद में विक्रांत बना) देने का वादा भी शामिल था। दोनों देशों ने औपचारिक रूप से रणनीतिक साझेदारी घोषित कर दी।
25 साल बाद भी वहीं दोस्ती
आज जब पुतिन 2025 में भारत आये हैं (शायद 10वीं यात्रा) तो 2000 की वह पहली यात्रा और अहम लगती है। उस समय रूस टूटा-फूटा था। भारत को दुनिया परमाणु की वजह से कोस रही थी। लेकिन पुतिन ने आकर साफ कह दिया। हम तुम्हारे साथ हैं। रूस आज भी वहीं पुराना, भरोसेमंदर दोस्त बना हुआ है। 2000 में पुतिन ने जो नींव डाली थी, वह आज भी मजबूत खड़ी है।

