ग्वालियर में 16 नवम्बर को विरोध दिवस मनाने का ऐलान, हाईकोर्ट ने कहा -शांति रहें यह शासन की जिम्मेदारी
ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में 16 नवम्बर को होने वाले विरोध दिवस को लेकर सरकार को सख्त निर्देश दिये हैं। न्यायालय ने साफ कहा है कि कानून-व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी शासन की है। किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने यह टिप्पणी नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायक एक जनहित याचिका पर की।
याचिका में कहा गया था एडवोकेट अनिल मिश्रा ने एससी-एसटी एक्ट को काला कानून बताते हुए 16 नवम्बर को विरोध दिवस मनाने की उसकी प्रतियां जलाने का एलान किया है। इससे शहर और हाईकोर्ट परिसर में तनाव बढ़ सकता है। न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार और गृह विभाग यह सुनिश्चित करें कि 16 नवम्बर को ग्वालियर में शांति बनी रहे। हाईकोर्ट ने ग्वालियर कलेक्टर रूचिका चौहान को निर्देश दिया है कि मीडिया, खासकर स्थानीय चैनलों और अखबारों को यह हिदायत दें कि विरोध दिवस या इससे जुड़ी भड़काऊ खबरें या अपीलें प्रकाशित न करें।
क्यों तूल पकड़ा मामला
मार्च 2024 में ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद हुआ था। तब वकीलों के दो गुट आमने-सामने आ गए थे और प्रतिमा को वापस भेजना पड़ा था। इसी दौरान बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा के एक बयान से विवाद और गहराया। बाद में भीम आर्मी ने उनके बयान का विरोध किया और प्रशासन को दखल देना पड़ा।

