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शोध की उपयोगिता एवं वह भारत की प्रगति में कैसे दे सकती है अपना योगदान- डॉ. शान्तिदेव सिसोदिया

ग्वालियर.  जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व , इतिहास तथा अर्थशास्त्र अध्ययनशाला में 10 नवंबर, को “भारत में गुणवत्तापूर्ण शोध” विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित हुआ। जिसमें विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो. नरेंद्र कुमार कोष्ठी, सदस्य, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग, इंदौर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. शान्तिदेव सिसोदिया, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला ने की। प्रो. नरेंद्र कुमार कोष्ठी ने शोध के विभिन्न चरणों का वर्णन करते हुए शोध विषय के चयन, डेटा संग्रह प्रणालियों सहित शोध के प्रमुख चरणों को विस्तृत रूप में बताया।
वर्तमान संदर्भ में भारत में शोध की उपयोगिता एवं वह भारत की प्रगति में कैसे अपना योगदान दे सकती है साथ ही उन्होंने विकसित भारत@ 2047 तथा आत्म निर्भर भारत इत्यादि बिंदुओं पर विशेष बल दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में शोधार्थियों को शोध के लिए कौन-कौन से विषयों का चयन करना चाहिए इन विन्दुओं पर भी प्रकाश डाला l कार्यक्रम में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, इतिहास अध्ययनशाला, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, राजनीतिक विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला तथा एमबीए (बिजनेस एकोनोमिक्स) के कार्यक्रम का संचालन सुश्री प्रिया सुमन ने किया इस अवसर पर डॉ शिब कुमारी सिंह, डॉ दिव्या कोठारी, डॉ गंगोत्री मिश्रा, डॉ कृतिका प्रधान, डॉ सत्येंद्र सिंह सिकरवार , डॉ अमित यादव, डॉ दीप्ति राठौर, डॉ मुक्ता जैन , राहुल कुमार, राहुल बरैया, पूर्णिमा यादव, राजकुमार गोखले आदि मौजूद रहे l स्नातकोत्तर विधार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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