ग्वालियर में ट्रांसपोर्टर और अफसरों की सांठगांठ से राशन घोटाला हुआ
ग्वालियर. लॉकडाउन में गरीबों का निवाला बाजार में बेचे जाने के घोटाले में अब नया खुलासा हुआ है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत आवंटित 3 करोड़ रु. से ज्यादा का राशन ट्रांसपोर्टर और अफसरों की सांठगांठ से ही बाजार में बेचा गया। जिस नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक संजय सक्सैना पर इस गड़बड़ी को रोकने की जिम्मेदारी थी वहीं गैरजिम्मेदार बन गए। नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक ने शिकायतें सामने आने के बाद भी ट्रांसपोर्टर मुन्नालाल अग्रवाल और राहुल अग्रवाल पर कोई कार्रवाई नहीं की। नतीजतन करोड़ों का जो राशन गरीबों की मदद के लिए पहुंचना था वो उन तक न पहुंचकर बाजार में बेच खाया गया।
नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक संजय सक्सैना की लापरवाही
ट्रांसपोर्टर और अफसरों के इस गठजोड़ का खुलासा कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे गए पत्र से हुआ है। इस पत्र में सीधे तौर पर इस घोटाले की वजह नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक संजय सक्सैना की लापरवाही को माना गया है।
भुगतान किए जाने के लिए जिला प्रबंधक भी जिम्मेदार
कलेक्टर द्वारा प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कहा गया है कि परिवहन करने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनी महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट कंपनी को एक अक्टूबर को ब्लैक लिस्ट किया गया इसके बाद भी नॉन के जिला प्रबंध संजय सक्सेना द्वारा पुराने परिवहनकर्ता से संबंधित रिश्तेदार की फर्म से काम कराया गया। इस वजह से उनकी कार्यशैली संदेह के घेरे में है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत शासकीय उचित मूल्य दुकान तक खाद्यान परिवाहन के लिए एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कापोर्रेशन को अधिकृत एजेंसी बनाया गया है। इस काम को पूरा करने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी-कर्मचारी भी जिम्मेदार है। गोदाम से दुकानों तक खा़द्यान्न पहुंचाने और उसके बाद उसकी पुष्टि करने के साथ ही भुगतान किए जाने के लिए जिला प्रबंधक जिम्मेदार है।