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म्हाराजपुरा एयरबेस के नजदीक से 8 बांग्लादेशी पुलिस ने दबोचे, 12 वर्षो से रह रहे थे, पानीपत की सूचना पकड़े गये रिश्तेदार

पानीपत की सूचना पकड़े गये रिश्तेदार
ग्वालियर. महाराजपुरा थाना इलाके में 8 बांग्लादेशी नागरिक पकड़ाये गये है। यह कार्यवाही हरियाणा पुलि के इनपुट पर की गयी है। पकडे गये बांग्लादेशी लोग बिना नागरिकता के 12 साल से यहां रह रहे थे। इनके रिश्तेदार हरियाणा के पानी में लगभग 1 हफ्ते पूर्व पकड़े गये थे। उनसे पूछताछ के बाद मिले इनपुट पर ग्वालियर पुलिस अलर्ट हुई है। हरियाणा पुलिस की एक टीम भी ग्वालियर में डारे डाले हुए है। तब इन्हें पकउ़ा गया है। पुलिस की पकड़ में आये लोग फिलहाल महाराजपुरा थाना पुलिस की निगरानी में है।
यह सभी एक ही परिवार के हैं। जिस इलाके में इन्हें पकड़ा गया है उसी इलाके में भारतीय वायुसेना का महाराज एयरबेस है। लिहाजा इनके मोबाइल से मिले नम्बरों के जरिये कई अहम जानकारियों जुटाई जायेगी। खुफिया जांच एजेंसिया भी सक्रिय हो गयी है।

ग्वालियर में एक ही परिवार के 8 बांग्लादेशी पकड़े गए हैं। जो बिना नागरिकता के यहां रह रहे थे। - Dainik Bhaskar
ये 8 बांग्लादेशी पकड़ाए
मोहम्मद शरीफ (40) पिता मोहम्मद, सीलिमा (25) पति मोहम्मद शरीफ, रफीक (14) पिता मोहम्मद शरीफ, चुमकी पिता मोहम्मद शरीफ, अदोरी (8), आशिक (15), मोहम्मद शरीफ का भांजा , रातुल शेख (23) पिता शादाक, उजा (2) पिता रातुल
सबसे पहले आया था नूर, गिरने से हो गई मौत
पुलिस निगरानी में पूछताछ के दौरान जानकारी मिली है कि यह सभी बांग्लादेश के जेस्सोर शहर के रहने वाले हैं। पकड़े गए मोहम्मद शरीफ का पिता नूर सबसे पहले भारत आया था। वह ग्वालियर में रह रहा था। उसकी बावड़ी में गिरकर मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार यहीं बस गया। मोहम्मद शरीफ ने बताया कि वह करीब 12 साल पहले बांग्लादेश से कोलकाता पहुंचा। इसके बाद ग्वालियर आकर मजदूरी करने लगा। अदोरी और उजा का जन्म ग्वालियर में ही हुआ है।
चार हजार रुपए देकर पार की थी बॉर्डर
पकड़ाए बांग्लादेशी नागरिक रातुल शेख ने बताया है कि वह 5 साल पहले भारत आया। उसने 4 हजार रुपए देकर देश की सीमा पार की थी। इसके बाद ग्वालियर आकर रहने लगा। पकड़ाए बांग्लादेशी महाराजपुरा क्षेत्र में एक घर में रह रहे थे। जो दीनदयाल नगर क्षेत्र में रहने वाले देवेंद्र कंसाना के कचरा इक‌ट्ठा कर नष्ट करने की ठेकेदारी का करते हैं। इस काम के बदले वह बांग्लादेशियों को हर महीने 15 हजार रुपए देता था।

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