खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी, इंदिरा ने देश के लिए दी कुर्बानी-डॉ. देवेन्द्र शर्मा
ग्वालियर – भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम का आगाज करने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई की 189 वीं जयंती एवं देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रीमती इंदिरा गांधी की 107वीं जयंती के अवसर पर शहर जिला कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा के नेतृत्व एवं महापौर श्रीमती शोभा सिकरवार, विधायक डॉ. सतीश सिंह सिकरवार, प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा की उपस्थिति में आज एम.एल.बी. रोड स्थित वीरांगना लक्ष्मीबाई समाधी स्थल एवं छत्री बाजार स्थित लेडिस पार्क में श्रीमती इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्थल पर सभी कांग्रेसजनों ने दोनों महान नारी शक्तियों को माल्यार्पण पुष्प अर्पित कर नमन किया।
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई को पुष्पांजली नमन करते हुए उपस्थित कांग्रेसजनों से कहा कि भारत को अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने के लिये स्वाधीनता संग्राम की क्रांति का श्रीगणेश वीरांगना लक्ष्मीबाई ने किया, उन्होंने अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए जो क्रांति की मशाल जलाई उससे पूरे भारत के स्वाधीनता आंदोलन को नई दिशा मिली, उनका बलिदान भारत के इतिहास में अजर अमर रहेगा।
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इदिरा गांधी ने इस देश की एकता के लिये आधुनिक, मजबूत, विकासशील भारत के निर्माण के लिये सर्वधर्म सद्भाव के लिये देश के नागरिकेा को दूरदृष्टि, कड़ी मेहनत पक्का इरादा के साथ अनुशासन का मूलमंत्र देकर इस देश को संसार की महाशक्ती में शामिल कराया, 1971 में राजस्थान में पहला परमाणू बम का परिक्षण कराकर पूरे विष्व को भारत की महाशक्ति का अहसास कराया, गरीबी हटाने के लिये 20 सूत्रीय कार्यक्रम लागू करके गरीब अनूसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ावर्ग, अल्पसंख्यक वर्गो के साथ ही सभी धर्मो में आस्था रखने वाले नागरिको को रोटी कपड़ा मकान के संसाधन उपलब्ध कराने के लिये एतिहासिक पहल की, विशेष रूप से 1971 में भारत पाक युद्ध के समय बंग्लादेश की स्थापना करने मे उनका योगदान अजर अमर रहेगा। सहासिक, तुरंत निर्णय करने की क्षमता में उनकी सोच हमेशा देश को बलशाली बनाती रही। कांग्रेसनेता के संदेश जनता तक पहुंचने में उनका योगदान सदैव इतिहास मंे अमर रहेगा, जीवन के अंतिम समय तक भारत की एकता और अखंडता के लिये उन्होंने अपने प्राणो न्यौछावर कर इस इस देश की एकता को कायम रखा, अक्टूबर 1984 को उन्होने अपने अंतिम संदेश में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि मै जीवित रहू न रहू मगर जब भी मेरी जान जायेगी मेरे खून का एक एक कतरा भारत को मजबूत बनाएगा एक रखेगा और भारत की परंपरा को और अधिक मजबूत बनाएगा, एैसी महान बलिदानी के मार्ग पर चलने का हम संकल्प लें।