सिंधिया भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने
सिंधिया को अहमियत देकर राजस्थान में भी निशाना साध रही भाजपा
भोपाल. मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही भाजपा में असंतोष बढ़ता हुआ दिख रहा है। सरकार में विभागों का बंटवारा हर दिन टलते जा रहा है हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज ने ग्वालियर में कहा कि रविवार को मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा कर देंगे इससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि संभवत विभागों के बंटवारे को लेकर जो भी असंतोष था उसे साध लिया गया है।
सिंधिया भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने
दरअसल भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के बीच विभागों को लेकर खींचतान बताई जा रही है। इस बीच भाजपा के कई दिग्गज नेता भी अब सिंधिया पर तीर चलाने से भी नहीं चूक रहे है लेकिन सिंधिया भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने हैं और हर फैसले में उनकी ही मर्जी चल रही है। सियासी गलियारों में तो बात यहां तक होने लगी है कि सिंधिया को तरजीह देकर भाजपा राजस्थान में भी निशाना साधना चाहती है।
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, सिंधिया के अभिन्न मित्र
केंद्रीय नेतृत्व किसी भी हाल में सिंधिया का प्रभाव कम नहीं होने देना चाहता है। सिंधिया भाजपा से राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हो चुके है और निकट भविष्य में उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में भी शामिल किए जाने के संकेत है। सिंधिया के रिश्तों से राजस्थान में समीकरण बनने की गुंजाइश दरअसल, सिंधिया के जरिए कांग्रेस में सेंध लगाकर कमलनाथ सरकार को अपदस्थ करने वाली भाजपा उनके रिश्तों की बदौलत ऑपरेशन राजस्थान के लिए समीकरण बनाने की गुंजाइश तलाश रही है और सिंधिया इसमें सहायक साबित हो सकते है। अव्वल तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया बुआ है और दूसरे वहां के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट उनके अभिन्न मित्र है। राजस्थान के कुछ कांग्रेसी विधायकों से भी उनके गहरे संबंध बताए जाते है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की प्रतिस्पर्धा जगजाहिर है। अगर राजस्थान में सत्ता के उलटफेर का खेल शुरू हुआ तो समीकरण बनाने के साथ ही वसुंधरा राजे आर सचिन पायलट के बीच समन्वय बनाने में भी सिंधिया कारगर साबित हो सकते है।