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फिर उठने लगी सीएए निरस्त और 370 बहाल करने की मांग

नई दिल्ली. देश के नाम सम्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया। इस निर्णय के बाद जिस बात का डर था वही होता दिखाई दे रहा है। दूसरे कानूनों को लेकर विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। एक तरफ मुस्लिम नेता सीएए कानून को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ अनुच्छेद 370 को बहाल करने की मांग भी तेज हो गई है। हालांकि, कई लोग ऐसे भी देखने को मिले जो कृषि कानून के वापस लिए जाने से खुश नहीं हैं। अब कृषि कानून की वापसी से देश में बदलाव लाने की रणनीति पर कितना और क्या प्रभाव पड़ेगा। देश में अन्य कानूनों को वापस लेने की मांगके बीच ये सवाल और महत्वपूर्ण हो गया है।

प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी अपनी मांग को तेज करते हुए कहा हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत करते हैं। किसानों को हम मुबारकबाद देते हैं। हमारे प्रधानमंत्री सही कहते हैं कि हमारे देश का ढांचा लोकतांत्रिक है। ऐसे में अब उन्हें उन कानूनों की ओर भी ध्यान देना चाहिए, जो मुसलमानों से जुड़े हैं। कृषि कानूनों की तरह सीएए को भी वापस लिया जाए। इसके बाद तो क्या नेता क्या पत्रकार क्या संगठन सभी यही मांग दोहराते दिखे।

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती ने कहा कृषि कानूनों को निरस्त करने और माफी मांगने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से लिया गया हो। विडंबना यह है कि बीजेपी जहां वोट के लिए देशभर के लोगों को खुश करने में जुटी है, वहीं कश्मीरियों को अपमानित करना उनके प्रमुख वोटबैंक को संतुष्ट करता है। इसके बाद उन्होंने कहा जम्मू-कश्मीर को खंडित और शक्तिहीन करने के लिए भारतीय संविधान का अपमान केवल अपने मतदाताओं को खुश करने के लिए किया गया था। मुझे उम्मीद है कि वे यहां भी सही होंगे और अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में किए गए अवैध परिवर्तनों को पलट देंगे।

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