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ग्वालियर एलिवेटेड रोड में भू-अर्जन बना बाधा

ग्वालियर. शहर के बहुप्रतिक्षित प्रोजेक्ट में शामिल एलिवेटेड रोड के लिए निजी जमीनों पर भू-अर्जन में प्रशासन के सामने बाधा है। पहले चरण के प्रोजेक्ट में जहां एलिवेटेड रोड के लूप उतरने हैं वहां आबादी क्षेत्र भी है। बस्तियों सहित दुकानें आदि हटाए जाएंगे। इसके लिए अब लोगों को प्रोजेक्ट का महत्व बताया जाएगा और माननीयों (मंत्री व जनप्रतिनिधि) का सहयोग लिया जाएगा। एलिवेटेड रोड के प्रथम चरण में कहीं पर पिलर, कहीं पर गर्डर तो कहीं पिलर्स के ऊपर गर्डर सहित स्लैब डालने का काम हो रहा है।
कलेक्टर रुचिका चौहान ने बुधवार को एलिवेटेड रोड की कार्य एजेंसी सेतु निगम के अधिकारियों एवं संबंधित एसडीएम व राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर काम को और तेज करने के निर्देश दिए। पहले चरण का प्रोजेक्ट 45 प्रतिशत पूरा हो चुका है। स्मार्ट सिटी के सभागार में आयोजित हुई बैठक में कलेक्टर ने एलिवेटेड रोड के प्रथम चरण के शेष बचे हिस्सों में निजी जमीन के भू-अर्जन की कार्रवाई जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश राजस्व अधिकारियों को दिए।
उन्होंने कहा कि भू-अर्जन के बाद संबंधित भू-स्वामियों व मकान मालिकों को तत्परता से भू-अर्जन की राशि मुहैया कराई जाए। साथ ही कहा कि एलिवेटेड रोड निर्माण में स्थानीय निवासियों की वजह से आ रही बाधाओं को दूर करने में जनप्रतिनिधियों का सहयोग लें। साथ ही लोगों को बताएं कि एलिवेटेड रोड के निर्माण से आपके क्षेत्र का ही विकास होगा और शहर की यातायात व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

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MP की 413 नगरीय निकायों के सीएमओ आज करेंगे प्रदेश व्‍यापी हड़ताल

भोपाल. प्रदेश के कई जिलों में नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों पर हमलों की घटनाओं के विरोध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी कल्याण संघ ने शुक्रवार को प्रदेशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। संगठन के आह्वान पर प्रदेश के समस्त 413 निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे। इस संबंध में आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया है साथ ही समस्त जिलों में कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया है।
यह है हडताल की वजह
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नीलेश दुबे ने बताया कि नगरीय निकायों में पदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी- कर्मारी शासन के दिशा निर्देशों के अनुरूप नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे है। सीमित वित्तीय संशाधनों के अंतर्गत निकायों में व्यवस्थाओं का संचालन उनके द्वारा किया जाता है।
पिछले कई दिनों से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य नगर पालिका अधिकारियों एवं निकाय कर्मचारियों को प्रताडित करने मानसिक दबाव बनाने, यहां तक की जान से मारने तक के भी प्रयास किए गए है। दुबे ने कहा कि एक ओर जहां सारंगपुर की घटना अनापेक्षित दबाव की ओर इशारा करती है।
दूसरी और नगर परिष्द हरसूद की मुख्य नगर पालिका अधिकारी मोनिका पारधी पर कर्मचारी द्वारा गोली चालन कर जानलेवा हमला किया जाता है। इसके साथ ही अमरवाडा नगर पालिका अंगर्तत मुख्य नगर पालिका अधिकारी पर पार्षद द्वारा सार्वजनिक रूप से चप्पल लेकर मारने-दौडने की घटना होती है। कभी जनप्रतिनिधियों द्वारा, कभी निविदाकारों द्वारा, कभी प्रशासन के द्वारा सीएमओ पर दबाव बनाया जाता है। जिससे नगरीय निकायों के सीएमओ में भय एवं आक्रोश का वातावरण है।

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MP में नई पेंशन स्कीम के बाद अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम का पुरजोर विरोध शुरू

भोपाल. नई पेंशन स्कीम के बाद अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है। इसके विरोध में कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे दो संगनों ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है।
है। हमें ओल्ड पेंशन नही चाहिए
एक संगन न्यू मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन द्वारा कर्मचारियों से वोटिंग करवाने का निर्णय लिया है। इसके जरिए कर्मचारियों से यह पूछा जा रहा है कि आपकी इस बारे में क्या राय है। यह फैसला संगठन न्यू मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन ने लिया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह तिवारी ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए कर्मचारियों से राय ली जा रही है। 1 सितंबर से 4 सितंबर तक देश भर से 63 हजार कर्मचारियों ने कहा है हमें यूपीएस मंजूर नहीं है। हमें ओल्ड पेंशन नही चाहिए। यह राय 7 सितंबर तक ली जाएगी।
पुरानी पेंशन लागू नहीं की तो संसद का घेराव
एक अन्य संगन पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन ने यूपीएस के विरोध मंे गुरूवार से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया है। एनएमओपीएस के प्रांतीय प्रवक्ता हीरानंद नरवरिया ने बताया कि पहले चरण में देशभर में संगठन से जुडे कर्मचारियों ने यूपीएस के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट शेय की है।
दूसरे चरण में 6 सितंबर तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। तीसरे चरण में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 15 सितंबर को दिल्ली में होगी। चौथे चरण में जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद भी पुरानी पेंशन बहाल नहीं की गई तो दिल्ली में संसद भवन का घेराव किया जाएगा। मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक भुवनेश कुमार पटेल ने बताया कि प्रांतीय बैठक बुलाई गई है।

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बीना को जिला बनाने पर बीजेपी में ही किचकिच, बड़े नेता के विरोध के बाद वापस खींचे कदम

भोपाल. मध्य प्रदेश में सागर जिले की बीना तहसील को जिला बनाने पर सियासत गर्म है। सीएम मोहन यादव का बीना दौरा प्रस्तावित था। कहा जा रहा था कि यहां सीएम बीना को जिला बनाने की घोषणा करेंगे लेकिन पारिवारिक शोक के कारण उनका दौरा ही रद्द हो गया। इससे पहले केबिनेट की बैठक में भी बीना को जिला बनाने संबंधी प्रस्ताव टाल दिया गया था। दरअसल इस मुद्दे पर पार्टी में ही मतभेद पैदा हो गए है। बीना को जिला बनाने पर बीजेपी में ही किचकिच हो रही है। इस मुद्दे पर पार्टी के कुछ बडे नेताओं का विरोध सामने आया है। बताया जा रहा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने खासतौर पर इसकी खिलाफत की। सोमवार को हुई अहम बैठक में उनके विरोधी स्वर के बाद ही बीना का मामला लटक गया।
दरअसल बीना को जिला बनाने में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई का भी पेंच फंसा है। बीना के जैसे ही खुरई तहसील को भी जिला बनाने की मांग दशकों पुरानी है। सागर जिले की ये दोनों तहसीलें पुरानी और विकसित तहसीलें हैं। दोनों तहसीलों में जिला बनाने की मांग पर कई दिनों से आंदोलन चल रहे हैं।
बीना को जिला घोषित किए जाने पर खुरई की जनता नाराज होगी जिससे बीजेपी को खासा नुकसान हो सकता है। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार यही कारण है कि पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह बीना को जिला बनाने का विरोध कर रहे हैं। जिला बनाने की मांग को लेकर खुरई में 3 सितंबर को बंद का आव्हान भी किया गया था। तब भी पार्टी के निर्देश पर भूपेंद्र सिंह ने दखल देकर ऐन वक्त पर बंद स्थगित करवा दिया था।

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MP में नए डीजीपी के लिए यूपीएससी को इसी माह भेजा जाएगा प्रस्ताव

भोपाल. मध्य प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया के साथ ही पुलिस के नए मुखिया पुलिस महानिदेशक डीजीपी की दौड शुरू हो गई है। वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना नवंबर में रिटायर होने वाले है। अभी उनका तीन महीने का कार्यकाल बाकी है। चर्चा चल रही है कि प्रदेश के कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजीपी बनना चाह रहे है। इसमें कैलाश मकवाना का नाम रेस में सबसे आगे है जबकि अजय शर्मा और सुधीर कुमार शाही की भी दावेदारी बनी हुई है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सीएम मोहन यादव कई बार पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके है, तभी से नए डीजीपी को लेकर चर्चा चल रही है। बता दें कि नए डीजीपी के लिए फिलहाल आधा दर्जन नामों पर चर्चा हो रही है। इनमें स्पेशल डीजी, पुलिस रिफॉर्म पीएचक्यू शैलेष सिंह 1987 बैच, पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना 1988 बैच, महानिदेशक, होमगार्ड एवं आपदा प्रबंधन अरविंद कुमार 1988 बैच, स्पेशल डीजी, जीआरपी सुधीर कुमार शाही 1988 बैच, अजय कुमार शर्मा 1989 बैच और महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेकाएं गोविंद प्रताप सिंह 1989 बैच का नाम शामिल है।
वरिष्ठता क्रम की बात करें तो डीजीपी सुधीर सक्सेना के बाद सबसे ऊपर स्पेशल डीजी शैलेश सिंह हैं। वह भी डीजीपी सुधीर सक्सेना के बैच (वर्ष 1987) के ही अधिकारी हैं। वह फरवरी में 2025 में रिटायर हो जाएंगे। इसके बाद नंबर डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार (1988 बैच) हैं। वह मई 2025 में रिटायर हो जाएंगे। इसी बैच के सुधीर कुमार शाही जनवरी 2025 में ही रिटायर हो रहे हैं। इस तरह कैलाश मकवाना के पहले तीनों वरिष्ठों का कार्यकाल एक वर्ष भी नहीं बचा है। वहीं इसके बाद आईपीएस अफसर अजय कुमार शर्मा का नाम नए डीजीपी के लिए सामने आया है, शर्मा 1989 बैच के मप्र कैडर के अधिकारी हैं और वर्तमान में महानिदेशक (आर्थिक अपराध ब्यूरो) के पद पर कार्यरत हैं।

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MP के सीएम मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का निधन

उज्जैन. मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का मंगलवार देर शाम निधन हो गया। वे 100 वर्ष की आयु के थे और बीते एक सप्ताह से अधिक बीमार थे। फ्रीगंज स्थित अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। निधन की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री उज्जैन के लिए रवाना हो गए। उज्जैन शहर के फ्रीगंज स्थित एसएन कृष्णा अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। रविवार को उज्जैन दौरे के दौरान मुख्यमंत्री यादव भी अपने पिता का स्वास्थ्य जानने अस्पताल पहुंचे थे। वहीं सोमवार को केंद्रीय मंी सिंधिया भी उनसे मिले थे। अंतिम यात्रा 4 सितंबर बुधवार को सुबह 11.30 बजे निजी निवास गीता कॉलोनी, उज्जैन से निकलेगी। अंतिम संस्कार शिप्रा तट, भूखीमाता मंदिर के पास होगा।

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कभी भी खुल सकते हैं तिघरा के गेट

ग्वालियर. तिघरा डैम के गेट अब कभी भी खुल सकते है। तिघरा का जलस्तर वर्तमान में 738 फीट पर पहुंच चुका है जिसको लेकर प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। डैम पर पीएचई विभाग के अधिकारी लगातार निगाह बनाए रखे हुए है। शहर में औसतन बारिश का आंकडा लगभग पूरा हो चुका है। अगर 24 से 48 घंटे में बारिश होती है या तिघरा डैम का वॉटर लेवल 739 फीट के पार होता है तो बांध के गेट खोलकर पानी निकाला जाएगा, पर डैम के गेट खोलने से पहले आसपास रहने वाले गांव में अलर्ट किया जाएगा जिससे अचानक छोडे जाने वाले पानी से किसी को कोई परेशानी न हो।
सायरन बजाकर अलर्ट करने के बाद ही छोडा जाएगा पानी
प्रशासन ने तिघरा डैम के गेट खोलने की तैयारी कर ली है लेकिन गेट खोले जाने से पहले डैम के आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को अलर्ट कर दिया जाएगा साथ ही सायरन बजाकर तिघरा का पानी निकाला जाएगा। मौसम विभाग ने भी आगामी 48 घंटों में ग्वालियर में तेज बारिश की चेतावनी दी है। वहीं ककैटो से भी नहर के जरिए तिघरा में लगातार पानी आ रहा है। इसके चलते डैम कभी भी ओवरफ्लो हो सकता है।

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MP के 96 डॉक्टरों को बॉन्डेड पोस्टिंग में दोबारा ज्वाइनिंग का मौका

भोपाल. मध्य प्रदेश के डॉक्टरों को बॉन्डेड पोस्टिंग में शासकीय सेवा में दोबारा ज्वाइनिंग का मौका मिला है। ये वो डॉक्टर है जिन्होंने प्रदेश के सरकारी-निजी मेडिकल कॉलेजों से पढाई की है। स्वास्थ्य संचालनालय ने यूजी-पीजी कोर्स करने वालों को नियुक्ति आदेश जारी किए है। खास बात ये है कि ये सभी लोग अपनी बॉन्डेड अवधि की सेवाएं अपनी पूर्व पदस्थापना पर ही पूरी कर सकेंगे। इससे पहले इन डॉक्टरों में से ज्यादातर ने आगामी पढाई के सेवा से दूर रहने के आवेदन दिए थे। अब शासन ने इन सभी के मामलों में विचार के बाद उक्त आदेश जारी किए है। अब स्वास्थ्य संचालनालय के इस आदेश के बाद जिला अस्पताल स्तर पर भी स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी की उम्मीद की जा रही है। इस संबंध में आए आवेदनों पर विचार के बाद शासन ने तय किया कि इनकी बॉन्डेड अवधि अब पूर्व पदस्थापना वाली जगहों पर ही हो जाएगी।
डॉक्टरों को तय अवधि में संभालनी होगी जिम्मेदारी
इस संबंध में स्वास्थ्य सेवा संचालनालय के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. राजू निदारिया ने बताया कि शासन ने विचार के बाद ये परमिशन दी है कि बॉन्डेड अवधि पूरी करने के लिए ये सभी पूर्व पदस्थापना पर ही कार्यभार ग्रहण करेंगे। लिस्ट में 96 नाम हैं, जिन्हें ज्वाइनिंग के बाद तय अवधि में जिम्मेदारी संभालना है।

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MP में 5 सितंबर से फिर नया सिस्टम, 8 जिलों में तेज बारिश का अलर्ट

भोपाल. मध्य प्रदेश में अगले 2 दिन तेज बारिश का दौर बना रहेगा। मंगलवार को मालवा-निमाड यानी इंदौन-उज्जैन संभाग के 8 जिले झाबुआ, अलीराजपुर, बडवानी, खरगोन, इंदौर, रतलाम, धार और देवास में तेज बारिश का अलर्ट है जबकि भिंड भी भीगेगा। 5 सितंबर से बंगाल की खाडी में लो प्रेशर एरिया यानी, निम्न दाब क्षेत्र एक्टिव हो रहा है। इसका असर अगले 2 से 3 दिन में प्रदेश में देखने को मिल सकता है। यानी सितंबर में लगातार बारिश होती रहेगी।
अबकी बार सितंबर की शुरुआत तेज बारिश के साथ हुई है। लगातार 2 दिन प्रदेश में तेज बारिश हो रही है। सोमवार को भोपाल में आधा इंच पानी गिर गया। वहीं, इंदौर, रायसेन, उज्जैन, बैतूल, दमोह, शिवपुरी, खंडवा, जबलपुर, रतलाम सागर, सतना, टीकमगढ़ में भी बारिश हुई। रात में बारिश का दौर बना रहा। तेज बारिश के चलते सोमवार को खरगोन में सभी स्कूलों में अवकाश रहा। रतलाम में नदी में बाइक समेत दो लोग बह गए। इसके बाद इनकी पूरे दिन तलाश जारी रही।

 

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आरजीपीवी घोटाले में भोपाल-नर्मदापुरम में 7 ठिकानों पर ईडी की रेड

भोपाल. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में घोटाला मामले में ईडी ने भोपाल में दो ठिकानों नर्मदापुरम के पिपरिया और सोहागपुर में 5 ठिकानों पर रेड की। भोपाल में यूनिवर्सिटी के निलंबित रजिस्ट्रार आरएस राजपूत, पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार, एक्सिस बैंक पिपरिया के तत्कालीन मैनेजर राम रघुवंशी, दलित संघ सोहागपुर के सचिव रतन उमरे और उनसे जुडे लोगों के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की जा रही है। भोपाल में सुबह 5 से 6 बजे के बीच ईडी के अफसरों की टीम लेकपर्ल गार्डन पहुंची। इस समय आरजीपीवी के निलंबित रजिस्ट्रार आरएस राजपूत अपने घर में नींद में थे जबकि लेकपर्ल वाले घर से पूर्व कुलपति प्रो. सुनील बहुत पहले चूनाभट्टी शिफ्ट हो चुके है। उनके घर में किराएदार मिले। टीम बाद में प्रो. सुनील के चूनाभट्टी वाले घर भी पहुंची।
रजिस्ट्रार के खिलाफ मिली मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत
अफसरों ने राजपूत के घर के अंदर एंटर होते ही उनका और उनकी पत्नी के मोबाइल जमा कर लिए। ईडी के अफसरों ने निलंबित रजिस्ट्रार के घर से दस्तावेज जमा किए है। कार्रवाई जारी है। ईडी को निलंबित रजिस्ट्रार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रि की शिकायत मिली थी। दोपहर में निलंबित रजिस्ट्रार के घर छापे की खबर कॉलोनी में फैल गई। लोग जमा होने लगे। यह बात निलंबित रजिस्ट्रार को नागवार गुजरी। वे दोपहर 3 बजे दो ईडी अफसरों के साथ घर से बाहर भडकते हुए निकले और अफसरों से घर के सामने जमा लोगों को हटाने को कहा।
पूर्व प्रोफेसर से फोन पर लोकेशन पूछी, 30 मिनट बाद पहुंची ईडी
ईडी की दो टीम कार्रवाई के लिए निकली थी। राजपूत दबिश के वक्त ईडी अफसरों को घर पर मिले, लेकिन प्रो. सुनील कुमार के घर में किराएदार मिले। ईडी अफसरों ने किराएदारों से पूछताछ की। किराएदार ने अफसरों को बताया कि वे पिछले डेढ़ साल से यहां रह रहे हैं। प्रो. कुमार भोपाल के चूनाभट्टी इलाके में रहते हैं। इस पर ईडी टीम के निर्देश पर किराएदार से उनको कॉल कर लोकेशन पूछी। लोकेशन मिलने के आधे घंटे बाद ईडी की टीम ने चूनाभट्टी में प्रो. कुमार के घर दबिश दी। टीम उनसे सुबह से पूछताछ कर रही है। टीम को दबिश के दौरान दोनों के घरों में क्या मिला, इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है।


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