बुधवार को 12 लोगों की मौत हुई, बैन के बाद भी चंबल अभयारण्य चल रही 200 नाव
ग्वालियर. 435 किमी लंबे राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में नावों के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। पूरे अभयारण्य में सिर्फ श्योपुर के पाली, मुरैना के अटार और पिनाहट घाट पर ही वैध स्टीमरों का संचालन है बाकी लगभग 147 घाटों पर 200 से ज्यादा छोटी-बड़ी नावों का संचालन किया जाता है जिसका कोई रिकॉर्ड वन विभाग के पास नहीं है।
कल ही 12 लोगों की मौत हुई
राजस्थान के कोटा में बुधवार को एक नाव पलट गई थी जिससे हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ कि जब अभयारण्य में नावों के संचालन पर प्रतिबंध है तो यह नावें क्यों और किसकी लापरवाही के कारण चल रही है जबकि इसी दशक में अकेले श्योपुर और मुरैना में ही चंबल अभयारण्य में नाव पलटने से लोगों की जान जाने जैसे तीन बड़े हादसे हो चुके है।
तीन दिन बाद नावों का संचालन फिर बहाल
हर हादसे के बाद कुछ समय के लिए यह लाव नदी से हटवा दी जाती है और दो से तीन दिन बाद नावों का संचालन फिर बहाल हो जाता है। कील और काठ की नाव पार कराती है, कार व जीप चंबल में चलने वाली यह अवैध तौर पर चल रहीं नावें 2 या 4 लोगों की क्षमता वाली छोटी नौका नहीं होतीं बल्कि आयताकार प्लेटफार्म नुमा नावों का संचालन भी चंबल के विभिन्न घाटों पर होता है। ये नावें बाइक, कार, जीप यहां तक कि ट्रैक्टरों को भी चंबल नदी पार करवा देती है। यह नाव काठ के बोर्ड में कीलें ठोककर तैयार करवाई जाती है।