ग्वालियर में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की संभागीय फूड लैब का काम शुरू
ग्वालियर. मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए अब फूड सैंपलों का इंतजार ज्यादा नहीं करना होगा। एक साल में ग्वालियर में ही अत्याधुनिक फूड लैब आकार ले लेगी। ग्वालियर में अभी 500 से ज्यादा फूड सैंपलों की रिपोर्ट भोपाल से आना पेडिंग है। ग्वालियर चंबल अंचल वैसै भी मिलावटखोरों के लिए कुख्यात है जिस कारण यहां ज्यादा जरूरत फूड लैब की है। 21 अक्टूबर 2019 को जिस फूड लैब का हुरावली क्षेत्र में कमलनाथ सरकार में भूमिपूजन किया गया था उसका पहला 4 करोड़ का टेंडर जारी कर काम शुरू कर दिया गया है। मौके पर नींव भरने का काम चल रहा है और पहाड़ी की कटाई का काम पूरा हो चुका है। एमपी हाउसिंग बोर्ड 5 करोड़ की लागत से बनने वाले ढांचे को तैयार कर रहा है।
अंचलभर के जिलों के फूड सैंपल यहां टेस्ट किए जा सकेंगे
संभागीय फूड लैबोरेटरी 1 साल में तैयार हो जाती है तो ग्वालियर के लिए बड़ी राहत होगी। इसके अलावा अंचलभर के जिलों के फूड सैंपल भी यहां टेस्ट किए जा सकेंगे जिनकी जल्द रिपोर्ट हाथ में मिलेगी। फूड सैंपल में देर से रिपोर्ट आने का सबसे बड़ा फायदा मिलावटखोरों को होता है और उन पर जुर्माने से लेकर आगे की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है। यहीं वजह है कि मिलावट का सिलसिला जारी रहता है और यहां स्थानीय स्तर पर फूड एंड सेफ्टी टीम लगातार कार्रवाई भी नहीं कर पाती है।
18 करोड़ में तैयार होगी पूरी लैब
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की इस प्रस्तावित फूड लैबोरेटरी का 5 करोड़ से ढांचा तैयार होगा और शेष 12 करोड़ के अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। लैब एक साल में तैयार कर ली जाएगी। भोपाल में लैब पहले से ही है और अब ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर में भी होगी। 14 दिन में सैंपल रिपोर्ट आने का प्रावधान है लेकिन प्रदेश में अभी एक ही लैब होने से तीन-तीन महीने तक रिपोर्ट नहीं आ पाती है। अभी के समय तो नौबत यह है कि जनवरी और फरवरी तक के कुछ सैंपल नहीं आ सके है। भोपाल लैबोरटरी में लोड़ बताया जाता है।