भारत की एयरोस्पेस कंपनी स्काईरूट, इसरो की मदद से अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करेगी
नई दिल्ल. मेक इन इंडिया और मेक फॉर वर्ल्ड के मंत्र के बीच एक भारतीय कंपनी स्पेस सेक्टर में नया कदम रखने जा रही है। भारत की एयरोस्पेस कंपनी स्काईरूट, इसरो की मदद से दिसंबर 2021 तक अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च कर देगी। स्काईरूट ने अपने पहला लॉन्च वेहिकिल का नाम (विक्रम-1) रखा है। स्काईरूट एयरोस्पेस पहला भारतीय स्टार्टअप है जिसके जरिए देश के पहले निजी रॉकेट इंजन (रमण) का सफल परीक्षण पूरा हुआ।
रॉकेट इंजन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है
रॉकेट इंजन के क्षेत्र में इसे अगला और अहमद पड़ाव माना जा रहा है। रॉकेट इंजन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है। ये कई चरण में काम करते हैं जिसकी हर स्टेज के लिए अलग इंजन अटैच होता है जिसके कुछ इंजन में तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है। यानि सामान्य शब्दों में रॉकेट लंबवत सिलेंडर के आकार का एक ऐसा यान है अपने इंजन की मदद से तेज गति से आगे बढ़ता है।
दिसंबर 2021 तक इसरो के मार्गदर्शन में रॉकेट का मेडन लॉन्च पूरा कर देंगे
कंपनी, रॉकेट की अपर स्टेज इंजन का परीक्षण कर चुकी है जिसका शुरूआती निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। स्काईरूट की टीम ने कहा कि सब कुछ सही रहा तो दिसंबर 2021 तक वो इसरो के मार्गदर्शन में रॉकेट का मेडन लॉन्च पूरा कर देंगे। भारत में पहली बार निजी क्षेत्र के तौर पर हमने उपग्रहों की लॉन्चिंग के लिए लिक्विड इंजन सफल परीक्षण किया है। कंपनी के दो रॉकेट चरण 6 महीने में परीक्षण के लिए तैयार हो रहे है।
विक्रम, चार चरण में काम करने वाला रॉकेट
हाल ही में हुए इंजन टेस्ट को लेकर कंपनी ने कहा कि वो 3 रॉकेट पर काम कर रही है। इसरो संस्थापक को याद करते हुए इनका नाम (विक्रम 1, 2 और 3) रखा गया है। विक्रम, चार चरण में काम करने वाला रॉकेट है जो अंतिम दौर में पहुंच चुका है। परीक्षण के दौरान इंजन में तरल ईंधन का प्रयोग हुआ। कंपनी ने इंजन का नाम रमन रखते हुए इसके जरिए नोबल पुरस्कार विजेता (सर सीवी रमन) को श्रद्धांजलि देने की कोशिश की है। रमन इंजन में यूडीएमएच और एनटीओ तरल ईंधन का इस्तेमाल हुआ, 4 इंजन वाला ये क्लस्टर 3.4 केएन थ्रस्ट जनरेट करेगा। इंजन कई उपग्रहों को एक ही बार में अलग-अलग कक्ष में स्थापित कर सकता है।