ग्वालियर के शास्त्रीय संगीत व ध्रुपद को विश्वव्यापी पहचान देने की तैयारियां स्मार्ट सिटी ने शुरू की, यूनेस्को में दावेदारी की तैयारियां शुरू
ग्वालियर. शास्त्रीय संगीत व धु्रपद को विश्वव्यापी पहचान देने की तैयारियां स्मार्ट सिटी ने शुरू कर दी है इसके लिए स्मार्ट सिटी अप्रैल माह में यूनेस्को में दस्तावेज जमा करेगी जबकि शहर के फुटपाथों पर यूनेस्को में शामिल होने की तैयारियां दिखनी शुरू हो गई है। स्मार्ट सिटी ने शहर के फुटपाथों पर संगीत की थीम पर बॉलपेंटिंग कराना शुरू कर दी है जबकि अप्रैल माह में विश्वभर से सिटी ऑफ म्यूजिक के लिए दस्तावेज जमा करने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी इसके लिए ग्वालियर में भी तैयारियां शुरू हो गई है।
स्मार्ट सिटी ने फूलबाग और बालभवन के पास शासकीय दीवारों पर संगीत से जुड़ी बाल पेंटिंग कराना शुरू किया है। यूनेस्कों में किसी भी शहर को सिटी ऑफ म्यूजिक में शामिल करने के लिए 7 प्रकार के गुर देखे जाते है इनमें संगीत का निर्माण और एक्टीविटी, म्यूजिकल फेस्टीवल और इवेंट का अनुभव होना चाहिए। संगीत विद्यालय और महाविद्यालय होने चाहिए। म्यूजिक इंडस्ट्रीज को प्रचारित किया गया हो। अन ऑपचारिक शिक्षा केंद्र, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म जहां कार्यक्रम आयोजित हो सकें।
पहली शर्त के अनुसार संगीत का निर्माण और शहर में इसकी एक्टीविटी होती रहना चाहिए। ग्वालियर में शास्त्रीय संगीत में तानसेन, बैजू बाबरा, महाराज मानसिंह तोमर का नाम प्रसिद्ध है। महाराजा मानसिंह तोमर ने ध्रुपद की रचना की थी जबकि तानसेन और बैजू बाबरा सबसे प्रतिद्ध गायकों में शुमार है। वहीं एक्टिविटी का माहौल बनाने के लिए स्मार्ट सिटी ने बाल पेंटिंग के जरिए संदेश देने का प्रयास शुरू किया है साथ ही शहर में समय-समय पर शास्त्रीय संगीत के आयोजन और तानसेन समारोह का आयोजन किया जाता है।