सपने देखना मत छोड़िए, क्योंकि हर सफलता की कहानी एक सपने से शुरू होती है
साक्षी पांडे
ग्वालियर. बचपन में हम से जब कोई पूछता था कि बेटा बड़े होकर तुम क्या बनोगे?? तो हम सब कहते थे कि हम इंजीनियर बनेंगे या फिर हम डॉक्टर बनेंगे या फिर पायलट बनेंगे या कुछ और पर जैसे जैसे हम बड़े होने लगते हैं,हमें समझ आने लगता है कि हमें सच में क्या बनाना है आगे चलकर अपनी जिंदगी में।सपने सब देखते हैं और देखना भी चाहिए,पर बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनके सारे सपने सच हो जाते हैं।
कुछ ऐसे होते हैं जिनके सारे सपने नहीं पुरे हो पाते हैं। पता है क्यों?? चार कारण है उसके पीछे,
1) या तो आपकी मेहनत में कुछ कमी रह गई है।
2)या फिर हो सकता है आपके लिए उससे भी अच्छा कुछ लिखा हो जितना आप सोचते हो, इसलिए बार-बार आपकी किस्मत आपको दूसरे दिशा में ले जा रही है।
3) या फिर आपको बहुत सफलता मिलने वाली हो। इस वजह से अभी इतना स्ट्रगल करना पड़ रहा है।
क्योंकि सफलता इतनी आसानी से किसी के हाथ में नहीं आती
सफलता पता है उस कीड़े की तरह रहती है। बचपन में कहते थे ना वो देखो जुगनू रोशनी वाले जुगनू पकड़ लो इसे जल्दी या फिर जब हम किसी पत्ते पर तितली को बैठे देखते हैं तो हम मन में सोचते हैं कि जल्दी से इसे पकड़ ले,इससे पहले कि वह उड़ जाए। पर क्या हर बार वह आपके हाथ लग जाती है?? नहीं लगती आप सोचते हैं कैसे पकड़े उसको ??हर बार बस हाथ में आने ही वाली होती है कि उड़ जाती है लेकिन ऐसे ही बार बार उसको पकड़ने की कोशिश करते करते एक दिन आप उसको पकड़ लेते हो और आपकी मेहनत सफल हो जाती है तब आप इसलिए पकड़ लेते हैं क्योंकि बार-बार उस तितली को पकड़ने की कोशिश करते करते आपआप उस के आदी हो चुके होते हो और इतने दिनों में आप ऑब्जर्व करते हो कि आपकी क्या गलती से उसको पता चल जाता है और वह उड़ जाती है,और आप अपनी गलती को सुधारते हो अब जब आप अगली बार उसे पकड़ने जाते हो तो पहले की गई गलती को याद रखते हो और धीरे-धीरे एक-एक कदम आगे रखते हो,बिना आवाज किए और पत्ते पर बैठी तितली को पकड़ लेते हो।
वैसे ही सफलता का है।सफलता मांगती है मेहनत और जब तक वह आपको निंबू की तरह निचोड़ कर आपका नींबू पानी नहीं बना लेती तब तक वह आपके पास आते-आते तक दूर चली जाएगी और आप सोच में पड़ जाओगे कि ऐसा क्यों हुआ। एपीजे अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि सपने वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं। सपने वह होने चाहिए जिन्हें आप खुली आंखों से देखें। नींद में सपने तो सब देखते हैं,पर दिन के उजाले में जो सपने देखे वह सपने होते हैं और कोई भी सपने को हकीकत में बदलने से पहले कई पापड़ बेलने पड़ते हैं। उन पापड़ में से एक है रिजेक्शन।
रिजेक्शन सफलता का दूसरा शब्द है
जब हम कॉलेज में एडमिशन के लिए जाते हैं या नौकरी के लिए कहीं अप्लाई करते हैं तो हमें कई रिजेक्शंस मिलते हैं और इतने मिलते हैं कि हम सोचने लगते हैं कि हम कहां गलत हो रहे हैं की इतने सारे रिजेक्शंस मिल रहे हैं??पर आप उस वक्त यह नहीं समझ रहे होते हैं कि आपकी यही गलतिया ही आपको आगे गलती करने से बचाएगी। आपको सिर्फ रिजेक्शन ही नहीं मिल रहे हैं,आप सिर्फ गलतियां ही नहीं कर रहे बल्कि आपको अनुभव मिल रहा है। जी हां रिजेक्शन क्या है? रिजेक्शन ही तो अनुभव है। रिजेक्शन आपको अनुभव देता है। गलतियां आपको अनुभव दे देती हैं।आपको तब नहीं पता चलता। यह बात का एहसास आपको तब होता है जब आपको सफलता मिल जाती है और आप जब पीछे मुड़कर देखते हो तो आपको एहसास होता है कि अरे यह सब रिजेक्शन से,गलतियों से ही तो मुझे इतना अनुभव मिला है और उसी अनुभव के वजह से आज मैं इतना सफल इंसान बना हूं। रिजेक्शन से डरो मत,निराश मत हो,यह मिल रहे हैं तो जरूर कुछ अच्छा लिखा है आगे तभी मिल रहे हैं।बस मेहनत करते रहे और यह मत सोचिये कि कितने मिल गए। मिलने दो एक दो नहीं 100 मिलेंगे,200 मिलेंगे पर आप अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं रहने देंगे और कोशिश करते रहेंगे। धीरे-धीरे 1 दिन ऐसा आएगा कि आप जब अगली बार एग्जाम देने जाओगे या फिर इंटरव्यू देने जाओगे तो आप अपनी गलतियों को याद रखोगे और उसे ध्यान में रखते बिना उसे दोबारा दोहराते हुए एग्जाम,इंटरव्यू दोगे और आप उस एग्जाम,इंटरव्यू को क्लियर कर लोगे।
सपने देखिए सपने देखना अच्छी बात है,पर उस सपने को हकीकत में बदलने की तैयारी भी रखिए।
यह मानकर चलिए जिस दिन से अपने सपने देखना शुरू किए उस दिन से सही मायने में आपकी जिंदगी की परीक्षा शुरू हो गई जो बहुत लंबी चलेगी और इसमें पास होने के लिए आपको दिन रात एक करना पड़ेगा। तब जाकर आपके हाथ में सफलता का पास रिपोर्ट कार्ड आएगा क्योंकि यह परीक्षा किताबी रट्टा मारने वाली नहीं होगी कि किताब पढ़ी रट्टा मारा और हो गए पास।
जिंदगी की परीक्षा में पास होने के लिए आपको संयम,धैर्य रखना, सीखना पड़ता है। कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। सकारात्मक सोच रखनी पड़ती है। क्योंकि सब कुछ आपके सोचने पर ही निर्भर करता है। जो भी,जैसा भी कुछ आप सोचते हो, वैसा ही आपकी जिंदगी में होता है। अगर एक सकारात्मक सोच रखेंगे तो आपके साथ सब सकारात्मक ही होगा और अगर आप नकारात्मक विचार रखेंगे तो एक आसान सी चीज भी कठिन में बदल जाएगी।
आखिरी 4)जुनून-सपनों को पूरा करने का जुनून होना चाहिए। तब कहीं जाकर आप जिंदगी के परीक्षा में पास होंगे। जुनून ऐसा जैसा यह डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जी में था। उनका सपना था कि उन्हें वैज्ञानिक बनना है और यह सिर्फ उनका सपना नहीं था। उनका जुनून था,और उस जुनून को उन्होंने सच में बदल दिया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होते हुए भी उन्होंने अपनी कमजोरी को अपने सपनों के बीच में रास्ते का कांटा नहीं बनने दिया। इतनी ज्यादा मेहनत की उन्होंने। अपने पढ़ा होगा या सुना होगा कि डॉक्टर साराभाई और उनके कुछ दोस्त,और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी को मिलाकर उन्होंने रॉकेट बनाया था जिससे त्रिवेन्ड्रम से थुम्बा तक डॉक्टर साराभाई जी और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जी साइकिल पर रख कर लाए थे। जुनून देखा आपने यह 1963 की बात है,और यह बात डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जी ने अपनी बुक इगनाइटेड माइंड्स:अनलीशिंग द पावर विदीन इंडिया में कहीं है। एक और बात याद आई उनकी जो उन्होंने बिल्कुल सही कही है। उन्होंने कहा था कि सबसे होनहार बच्चे आपको क्लास में लास्ट बेंच पर बैठे मिलेंगे। सही कहा, क्योंकि लास्ट बेंच पर बैठे बच्चों में एक अलग टैलेंट होता है और वो लोग आगे चलकर बहुत सफलता पाते हैं। बेशक आगे बैठने वाले बच्चों को भी सफलता मिलती है। पर यह बात बिल्कुल सही है कि सबसे होनहार बच्चे आपको क्लास के लास्ट बेंच पर बैठे मिलेंगे। एक और उदहारण जिनके जुनून ने उनके सपने को हकीकत में बदल दिया।राकेश शर्मा (इंडियास फर्स्ट एस्ट्रोनॉट) जब प्राइम मिनिस्टर रह चुकी इंदिरा गांधी जी ने उनसे पूछा था कि हमारा देश इंडिया कैसा लगता है स्पेस से?? तो राकेश वर्मा जी उनका जवाब था। सारे जहां से अच्छा। ये जो उनका वाक्यआज इतना प्रसिद्ध हो चुका है।
सोचिए वो वक़्त कितना गर्व रहा हुआ उनके लिए और सारे देशवासियों के लिए। उनका सपना,उनका जुनून एस्ट्रोनॉट बनने का पूरा हो गया था उस दिन।
तो देखा आपने
देखिये जिंदगी की परीक्षा खत्म होते-होते वो आपको कितने फायदे देकर जाएगी जो आपको आपकी पूरी जिंदगी में काम आएंगे। इसलिए जिस दिन सपने देखना शुरू करेंगे,उस दिन से अपनी कमर कस लीजिये।
क्योंकि यह सफर को पार करना इतना आसान नहीं होगा,पर जब पार कर लोगे तो उससे बड़ी खुशी कोई और नहीं होगा।
मेहनत करे,सकारात्मक सोचिए,खुश रहिए और हमेशा कोशिश करते रहिए।
सफलता जरूर मिलेगी और सपने जरूर सच होंगे।
सपने देखना मत छोड़िए।
क्योंकि हर सफलता की कहानी एक सपने से शुरू होती है।