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प्रदीप वर्मा के घर -डीएसपी को भी 15 मिनट के इंतजार के बाद घर में मिली एंट्री, भारी तादाद में मिली निगम की फाइलें

ग्वालियर. विनयनगर के सेक्टर नम्बर 4 बने मकान में प्रवेश करना मानों किसी दूसरे देश में बिना वीसा के प्रवेश करने जैसा था जब ईओडब्ल्यू की टीम प्रदीप वर्मा के निवास पर पहुंची तो डीएसपी सतीशचंद्र चतुर्वेदी व उनकी टीम को आईडी शो करने के बाद घर में प्रवेश मिला है। जब सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर लिया था जब टीम 2 बजकर 35 मिनट पर सबूत जुटाने के लिये विनयनगर पहुंची टीम को भी 15 मिनट घर के दरवाजे पर खड़ा किया गया था और किसी ने दरवाजा नहीं खोला था घर में बैठे परिजन दरवाजे पर लगे कैमरे से सारा नजारा देख रहे थे।
भारी तादाद में मिली नगरनिगम की फाइलें
ईओडब्ल्यू टीम का नेतृत्व कर रहे डीएसपी सतीशचन्द्र चतुर्वेदी के मुताबिक टीम ने जब दरवाजे पर दस्तकदी तब प्रदीप के भाई प्रशांत व उनकी पत्नी वहां पहुंची, लेकिन दोनों ही दरवाजा खोले बिना वापिस अन्दर चले गये और इसके बाद जब टीम ने बताया कि वह पुलिस और आईडी शो करते हुए प्रदीप के पकड़े जाने की खबर दी। लगभग 15 मिनट बाद दरवाजा खोलने के बाद तलाशी शुरू की गयी इस बीच घर के लोगों बहुत सारा सामान इधर से उधर करने में लगे रहे। ईओडब्ल्यू को भारी तादाद में नगरनिगम की फाइलें व दस्तावेज मिले और इनकी गिनती देर रात तक चलती रही।इस सामान को भी देर तक लिस्टेड किया जा रहा था।
अनुकंपा नियुक्ति से नगरनिगम में मिली थी नौकरी
प्रदीप वर्मा के पिता सूरजसिंह नगरनिगम में सहायक स्वच्छता इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ थे और उनकी मृत्यु के उपरांत 1995 में प्रदीप ने नगरनिगम में टाइमकीपर के तौर पर नौकरी ज्वाइन की थी और नौकरी करते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी इस वजह से उसके खिलाफ नियमित शिक्षा के साथ नियमित नौकरी करने के मामले की भी शिकायत की गयीथी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी। वर्ष 2004 में प्रदीप वर्मा उपयंत्री बने और 2012 में फर्जी तरीके से स्वयं को सहायक यंत्री बता कर सिटी प्लानर का पद पाने में कामयाब हो गये।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदीप वर्मा का बहुत सारा पैसा शहर के उभरते हुए बिल्डर पर लगा हुआ जिसने दौलतगंज इलाके में बिना परमिशन के कई मल्टी बनाकर तैयार कर दी है और प्रदीप वर्मा के साथ निगम के कई बड़े अधिकारी और कांग्रेस सरकार में रहे मंत्री का संरक्षण प्राप्त है। निगम से गायब फाइलें जिनकी शिकायत थाने में दर्ज है मिली फाइलों वह भी शामिल हैं। ऐसा बताया गया है।

लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू में लंबित हैं एक दर्जन मामले
वर्मा के खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में 12 मामले लंबित हैं। इनमें सिंधी काॅलोनी में पहले से बने मकान की निर्माण मंजूरी देने व ब्लू लोटस कॉलोनी के निगम में बंधक प्लॉट समय से पहले मुक्त करने के मामले शामिल हैं। गलत तरीके से निर्माण मंजूरी के मामलों की भी शिकायतें की गईं, लेकिन ये सभी जांच के नाम पर लंबित हैं। इनमें ग्वालियर व मुरैना में रिश्तेदारों के गांव में जमीन खरीदना व लॉकडाउन के दौरान सिटी सेंटर में मां के नाम पर रजिस्ट्री कराने का मामला शामिल है।

 

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