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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वफादार कुत्ते की समाधि की भूमि को भी अवैध रूप से बेच दिया-केके मिश्रा

ग्वालियर. प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मुरारीलाल दुबे और मीडिया प्रमुख केके मिश्रा ने सिंधिया परिवार पर निरंतर लगाये जा रहे भूमि घोटालों में अपने वफादार कुत्ते की समाधि की भूमि को भी अवैध रूप से बेच दिये जाने का गंभीर आरोप लगाया है। मुरारीलाल दुबे और केके मिश्रा ने बताया कि आजादी के संग्राम और राजनीति में गद्दारी के पर्याय बन चुके सिंधिया परिवार को वफादारी शब्द से ही कितनी नफरत है उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस परिवार ने अपने वफादार कुत्ते की मौत के बाद बनवाई गई उसकी समाधि को भी बेच खाया।
अपने इस आरोप को स्पष्ट करते हुये उन्होंने कहा कि यह समाधि ग्राम महलगांव तहसील ग्वालियर के सर्वे क्र. 916 रकवा 293 (1 बीघा 8 बिस्वा) सन् 1996 तक राजस्व अभिलेखों में राजस्व विभाग, कदीम, आबादी, पटोर नजूल के तौर पर दर्ज थी। अब सन् 1996 के बाद कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से अवैधानिक तरीकों से तहसीलदार, ग्वालियर द्वारा बिना किसी वैधानिक आवेदन, बिना किसी प्रकरण दायर किये और शासन का पक्ष सुने माधवराव सिंधिया के नाम पर नामांतरित कर दी गई इस अवैध कार्य में तत्कालीन तहसीलदार ने माननीय ने उच्च न्यायालय, ग्वालियर की याचिका के एक आदेश की भी अनुचित/अवैधानिक व्याख्या का दुरूपयोग करते हुए इस काम को अंजाम दिया जो एक गंभीर अपराध है, क्योंकि तहसीलदार न्यायालय को यह अधिकार न होकर प्रकरण लैण्ड रेवेन्यू कोड की धारा-57 (2) के तहत यह अधिकार उपखंड अधिकारी एस.डी.ओ को प्रदत्त है।
इस नामांतरण के बाद माधवीराजे सिंधिया ने अपने पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया व पुत्री चित्रांगदाराजे की सहमति के साथ इस भूमि का विक्रय कर दिया। वहीं महाराजा ग्वालियर की ओर से उक्त सर्वे नं. के संबंध में यह बातया गया कि यह भूमि उनकी व्यक्तिगम संपत्ति है लेकिन हकीकत यह है कि भारत सरकार से हुये समझौते के अनुसार महाराजा ग्वालियर की जो व्यक्तिगत पूर्ण स्वामित्व व उपयोग की जो संपत्ति थी जिसकी चार सूचियां प्रकाशित हुई।
वर्ष 1992-93 में सर्वे क्र. 916 शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है और खाता नं. 12 कैफियत में कुत्ता समाधि दर्ज है और इसका कब्जा पी.डब्ल्यू.डी के अधीक्षण यंत्री के आदेश पर कार्यपालक अभियंता पी.डब्ल्यू.डी. ने ले लिया था। माधवीराजे सिंधिया ने उच्च न्यायालय, ग्वालियर द्वारा पारित जिस उक्त प्रकरण क्र. का उल्लेख विक्रय पत्र में किया है जिसमें यह बताया गया है कि इसी आदेश के आधार पर सर्वे क्र. 916 हमें प्राप्त हुआ है जो पूर्णतः गलत है क्योंकि उच्च न्यायालय ने अपने प्रकरण में इस सर्वे नं. का कोई उल्लेख ही नहीं किया है। यह एक गंभीर किस्म की धोखाधड़ी भी है यहीं नहीं यहां यह स्पष्ट करना भी आवश्यक है कि माधवराव सिंधिया के स्वर्गवासी होने के पश्चात उनके वारिसान का नामांतरण भी वैधानिक रूप से नहीं किया गया है।

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